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Best Tax Benefits on Home Loans and more 2022 | होम लोन पर टैक्स बचत, ऐसे उठाएं लाभ ओर अन्य लाभ 2022।

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Tax Benefits-टैक्स मे लाभ

Tax Benefits on Home Loans। केंद्र सरकार ने घर खरीदारों के लिए कई लाभ शुरू किए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का अपना खुद का घर होने का सपना पूरा हो सके। घर मालिक होने के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक कर लाभ भी हैं। दरअसल होम लोन एक लंबी अवधि का निवेश है, जो आपको लंबी अवधि के लिए टैक्स छूट भी देता है। आयकर अधिनियम के सेक्शन 80C के तहत होम लोन पर टैक्स छूट की आवश्यक है। यदि आप भी खुद का घर बनाने का सपना देख रहे हैं तो हाउसिंग लोन टैक्स बेनिफिट्स में कई सुविधाएं ले सकते हैं।

Importence Of Home-घर का महत्व

दरअसल अधिकांश लोगों के पास घर खरीदने के लिए बड़ी रकम नहीं होती है और ऐसे में सरकार और बैंक बड़ी मात्रा में वित्तीय रूप से मदद देती है, ताकि लोग अपना खुद का घर खरीदने का सपना पूरा कर सके।

यह वित्तीय सहायता बैंक की ओर से होम लोन के रूप में करती है और ग्राहक को 10 से 25 फीसदी राशि बुकिंग के रूप में जमा करनी होती है। यहां बैंक की ओर से दिया जाने वाला लोन आपकी आवश्यकता पर भी निर्भर करता है।

Government spot-सरकारी सहायता

साल 2020-21 में भारत के केंद्रीय मंत्री ने ऐलान किया था कि होम लोन पर आयकर छूट के सभी पुराने नियम वर्ष 2024 तक लागू रहेंगे और होम लोन इस तरह से लाभ ले सकते हैं। ऐसे में आपको अपनी होम लोन के ईएमआई के दो प्रमुख घटकों मूलधन और ब्याज राशि के बारे में अच्छी तरह से जानना जरूरी है। क्योंकि ऐसा होने पर ही आप टैक्स बेनिफिट्स ले सकते हैं।

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C के अनुसार, यदि संपत्ति स्व-कब्जे वाली है तो आप चुकाई गई राशि पर टैक्स लाभ ले सकते हैं।

Other Benefits-अन्य छूट

इसके अलावा होम लोन की मदद से कोई दूसरा घर खरीदा है और वह खुद के कब्जे में हैं या किराए से दिया है तो ऐसे मामले में भी 1.5 लाख रुपए तक के होम लोन पर टैक्स लाभ ले सकते हैं। इसके अलावा स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क पर भी टैक्स लाभ ले सकते हैं।

आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत होम लोन ब्याज कटौती अनुभाग के लिए पात्र हैं। सेल्फ ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी के लिए आप 2 लाख रुपए तक की ब्याज राशि पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। अगर आपके पास दूसरी प्रॉपर्टी है तो दोनों घरों के लिए कुल टैक्स डिडक्शन 2 लाख रुपए से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

आयकर अधिनियम के सेक्शन 24बी के अनुसार प्री-कंस्ट्रक्शन फेज में चुकाए गए ब्याज पर भी होम लोन के ब्याज पर टैक्स लाभ लिया जा सकता है। यदि आपने अपनी अचल संपत्ति के निर्माण के दौरान होम लोन के लिए आवेदन किया था और इस दौरान भी लगने वाली ब्याज राशि पर टैक्स लाभ ले सकते हैं।

यदि आपने अपने साथी के साथ संयुक्त रूप से होम लोन के लिए आवेदन किया है , तो आप दोनों को 1.5 लाख रुपए तक की मूल राशि (धारा 80सी) और प्रत्येक पर 2 लाख रुपए तक की ब्याज राशि पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिल सकता है।

Female Benefits-महिलाओ को अतरिक्त टैक्स मे लाभ ।

महिलाएं, फिर चाहें वे प्राइमरी या सेकण्डरी आवेदक ही क्यों न हों, उनको पुरुषों की तुलना में कम दरों पर होम लोन मिलता है। अधिकांश मामलों में यह फर्क 0.05 प्रतिशत (5 बेसिस प्वाइंट) से 0.1 प्रतिशत (10 बेसिस प्वाइंट) के बीच में हो सकता है।

उदाहरण के लिए, अगर किसी पति बोरोअर को 6.75% प्रति वर्ष की दर से होम लोन ब्याज दर की ऑफर की जाती है, और यदि वह अपनी पत्नी को सह-आवेदक के रूप में शामिल करता है और सम्पत्ति का संयुक्त स्वामी बनाता है।

तो दर को कम करके 6.65% प्रति वर्ष किया जा सकता है। हालांकि यह अंतर मार्जिनल है, लेकिन इससे आपको निम्न इक्वेटेड मासिक किस्तें (ईएमआई) प्राप्त करने में मदद मिलती है और लोन की पूरी अवधि के दौरान आपके ब्याज की कुल अदायगी में कमी होती है, जिससे आपके कैश फ्लो में सुधार होता है।

मान लीजिए कि कोई पुरुष बोरोअर 20 वर्ष की अवधि के लिए 40 लाख रुपए का होम लोन लेता है। उसकी ईएमआई 30,415/- रुपए की होगी अगर ब्याज की दर 6.75% प्रति वर्ष है, और वह कुल 32,99,494/- रुपए के ब्याज की अदायगी करेगा। अगर किसी पात्र महिला के सह-आवेदक बनने पर, उधारदाता ब्याज दर कम करके 6.65% प्रति वर्ष कर देता है।

और प्रभावी ईएमआई कम होकर 30,177/- हो जाती है और इस तरह से कुल ब्याज अदायगी कम होकर 32,42,531/- रुपए हो जाती है। इसलिए महिला सह-आवेदक के कारण दीर्घकाल में लगभग 57,000/- रुपए की बचत होती है।

Long Periods-लंबी अवधियां


प्राइमरी आवेदक के तौर पर महिलाओं को 30 वर्ष तक की अवधि या जब तक वे 70 वर्ष की नहीं हो जाती हैं, दोनों में से जो भी पहले हो, तक रिपेमेंट अवधि दी जाती है। पुरुषों के लिए, यह 20 वर्ष या 65 वर्ष, इनमें से जो भी पहले हो, हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि पति की आयु 50 वर्ष की है जबकि पत्नी की आयु 45 वर्ष की है।

तो बैंक द्वारा उन्हें केवल 15 वर्ष की रिपेमेंट अवधि का ही विकल्प दिया जाएगा, अगर केवल पति द्वारा ही लोन के लिए आवेदन किया जाता है। लेकिन, यदि वह अपनी पत्नी को सह-आवेदक और सम्पत्ति के संयुक्त आवेदक के रूप में शामिल करता है, तो उन्हें 25 वर्ष की लोन रिपेमेंट अवधि प्रदान की जाएगी।

Stamp Duty Fee Exemption-स्टाम्प ड्यूटी फीस में छूट


किसी सम्पत्ति को लेने की कुल लागत में स्टाम्प ड्यूटी भी शामिल होती है। महिला होम बॉयर्स को आमतौर पर 1-2 प्रतिशत की स्टाम्प ड्यूटी में छूट दी जाती है। इसके मायने हैं कि यदि सम्पत्ति की कीमत 40 लाख रुपए है, और वह 40,000/- से 80,000/- रुपए की राशि की बचत स्टाम्प ड्यूटी चार्जेस में कर सकती है।

टैक्स लाभ


संयुक्त होम लोन में सभी को-बोरोअर्स को ब्याज और मूल राशि के भुगतान के लिए टैक्स कटौती लाभों का दावा करने का अवसर मिलता है। आयकर अधिनियम की धारा 80 सी और 24 के अनुसार, सम्पत्ति के सह-स्वामियों के रूप में सभी को-बोरोअर्स चुकाए गई मूल राशि के लिए 1.5 लाख रुपए का टैक्स कटौती लाभ के रूप में और अदा किए गए ब्याज के लिए और 2 लाख रुपए का टैक्स कटौती लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

प्राइमरी होम लोन आवेदक के रूप में किसी महिला के लिए बड़ा लोन प्राप्त करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, सरकार प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के जरिए महिलाओं को क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।

पीएमएवाई के अनुसार, सम्पत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए परिवार की किसी महिला के नाम को शामिल करना अनिवार्य है। इसके अलावा, यदि किसी महिला द्वारा इस क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम के जरिए लोन लिया जाता है, तो वह 6% तक ब्याज सब्सिडी प्राप्त कर सकती है।

धारा 80EEA के अनुसार 1.5 लाख रुपए की अतिरिक्त कटौती का लाभ उठाने के लिए इन शर्तों को पूरा करना होगा –

  • स्टाम्प मूल्य 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए
  • होम लोन 2019 और 2020 के बीच लागू किया गया
  • खरीदार संपत्ति का पहला धारक होना चाहिए

टैक्स लाभ लेते समय इन बातों की रखें सावधानी

  • संपत्ति का पंजीकरण आपके नाम पर होना चाहिए।
  • संपत्ति का निर्माण पूर्ण होना चाहिए।
  • होम लोन दस्तावेज जमा करना आवश्यक है ।
  • वर्ष के दौरान भुगतान किए गए मूलधन और ब्याज के विवरण के साथ बैंक या वित्तीय संस्थान से प्रमाण पत्र ।
  • अनुबंध मूल्य का TDS एडजस्ट किया जाना चाहिए।
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